आज मै अपने इस आर्टिकल में लड़कियो को होने वाले अत्याचारो पर एक कविता लिखा है यदि आप लोगो को पसंद आये तो ज्यादा से ज्यादा लाइक करे और शेयर करे।
मै भी एक लड़की हूँ मै भी एक इंसान हूँ:-
मै हूँ एक लड़की,मै भी एक इंसान हूँ।
मुझे जीने का अधिकार दो ना आधा ना कम
हमें मत मारना बाबुल
हमारी कौन सी गलती है।।
मुझे पुत्र के सामान प्यार दो ।
यही करबद्ध विनती है
हमें करतार ने भेजा है
यहाँ कुछ कार्य करने दो।।
घर का चूल्हा नहीं,ना ही झाड़ू लगाना।
मुझे पढ़ने का अधिकार दो
मै हूँ एक लड़की,मै भी एक इंसान हूँ
मुझे जीने का अधिकार दो।।
मै कोई सतयुग की सीता नहीं।
जिसे शक के कारन राम ने त्याग दिया
न ही कालिदास की विद्दोंत्मा
ना ही दुश्यन्त की शकुंतला हूँ
जिसे वे भूल गए।।
हमारे जन्म को ना रोके।
भले ही मत प्यार करना
मृदुल व्यव्हार ना करना
मगर दहेज़ दान के
जरा अभिसाप से डरना ।।
गर्भ में देखकर बेटी।
क्यों चेहरे नहीं खिलते
बहुत चिंतन मनन करने
पर भी उचित उत्तर क्यों नहीं मिलते।।
पुत्र जब जन्म लेते है।
बजती है चारो और सहनाई
वही अगर हो गयी बेटी
मनो चारो तरफ मातम छाई।।
विधाता की ये युगल रचना है।
जगत में नर वह नारी है
नर में दो ही मात्राएँ है
नारी नर से भरी है।।
समझ में नहीं आता है ।
क्यों यह भेद होता है
विषमता देखने पर भी
नहीं क्यों खेद होता है।।
हमें भी उड़ने का।
पंख फ़ैलाने की आज़ादी मिले
तो हम भी कल्पना चावला बनकर नीले गगन को छु सकते है
पिटी उषा बनकर देश का गौरव बन सकते है
इंदिरा गांधी बनकर देश चला सकते है
हम भी कुछ सफलता भरी कहानी लिख सकते है।।
हम केवल भोग विलास की साधन नहीं है।
ना ही हम द्वापर की द्रौपदी है
जिस देवी दुर्गा को पूजते हो
उसी की करते हो अपमान तूम।।
लड़की को लक्ष्मी कहते ।
तो फिर क्यों लक्ष्मी को बोझ समझते हो
नहीं बढ़ेंगे पुरुषो से आगे
केवल साथ चलने का अधिकार दो
मै भी एक लड़की हूँ,मै भी एक इंसान हूँ
मुझे जीने का अधिकार दो।।
आज हमारे सामाज में लड़कियो को केवल और केवल भोग विलास मिटाने वाली वास्तु समझ जा रहा है उन्हें हमेशा खत्म करने प्रयास किया जाता है मै आप लोग से निवेदन करता हूँ की लडकिया को भोग विलास की वास्तु न समझे न ही उन्हें गर्भ में मारने की कोसिस ना करे जितना अधिक अधिकार पुरुषो का इस समाज में है उतना ही अधिक अधिकार लड़कियओ और औरतो का भी है उन्हें भी जीने खुसी से जीने का हक है उन्हें भी स्वतंत्रता और हँसी खुसी के सथरहने दे।
Published by ashwani chaudhary
मै भी एक लड़की हूँ मै भी एक इंसान हूँ:-
मै हूँ एक लड़की,मै भी एक इंसान हूँ।
मुझे जीने का अधिकार दो ना आधा ना कम
हमें मत मारना बाबुल
हमारी कौन सी गलती है।।
मुझे पुत्र के सामान प्यार दो ।
यही करबद्ध विनती है
हमें करतार ने भेजा है
यहाँ कुछ कार्य करने दो।।
घर का चूल्हा नहीं,ना ही झाड़ू लगाना।
मुझे पढ़ने का अधिकार दो
मै हूँ एक लड़की,मै भी एक इंसान हूँ
मुझे जीने का अधिकार दो।।
मै कोई सतयुग की सीता नहीं।
जिसे शक के कारन राम ने त्याग दिया
न ही कालिदास की विद्दोंत्मा
ना ही दुश्यन्त की शकुंतला हूँ
जिसे वे भूल गए।।
हमारे जन्म को ना रोके।
भले ही मत प्यार करना
मृदुल व्यव्हार ना करना
मगर दहेज़ दान के
जरा अभिसाप से डरना ।।
गर्भ में देखकर बेटी।
क्यों चेहरे नहीं खिलते
बहुत चिंतन मनन करने
पर भी उचित उत्तर क्यों नहीं मिलते।।
पुत्र जब जन्म लेते है।
बजती है चारो और सहनाई
वही अगर हो गयी बेटी
मनो चारो तरफ मातम छाई।।
विधाता की ये युगल रचना है।
जगत में नर वह नारी है
नर में दो ही मात्राएँ है
नारी नर से भरी है।।
समझ में नहीं आता है ।
क्यों यह भेद होता है
विषमता देखने पर भी
नहीं क्यों खेद होता है।।
हमें भी उड़ने का।
पंख फ़ैलाने की आज़ादी मिले
तो हम भी कल्पना चावला बनकर नीले गगन को छु सकते है
पिटी उषा बनकर देश का गौरव बन सकते है
इंदिरा गांधी बनकर देश चला सकते है
हम भी कुछ सफलता भरी कहानी लिख सकते है।।
हम केवल भोग विलास की साधन नहीं है।
ना ही हम द्वापर की द्रौपदी है
जिस देवी दुर्गा को पूजते हो
उसी की करते हो अपमान तूम।।
लड़की को लक्ष्मी कहते ।
तो फिर क्यों लक्ष्मी को बोझ समझते हो
नहीं बढ़ेंगे पुरुषो से आगे
केवल साथ चलने का अधिकार दो
मै भी एक लड़की हूँ,मै भी एक इंसान हूँ
मुझे जीने का अधिकार दो।।
आज हमारे सामाज में लड़कियो को केवल और केवल भोग विलास मिटाने वाली वास्तु समझ जा रहा है उन्हें हमेशा खत्म करने प्रयास किया जाता है मै आप लोग से निवेदन करता हूँ की लडकिया को भोग विलास की वास्तु न समझे न ही उन्हें गर्भ में मारने की कोसिस ना करे जितना अधिक अधिकार पुरुषो का इस समाज में है उतना ही अधिक अधिकार लड़कियओ और औरतो का भी है उन्हें भी जीने खुसी से जीने का हक है उन्हें भी स्वतंत्रता और हँसी खुसी के सथरहने दे।
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